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आदिवासियों पर गोलिया चलवाना बना बीजेपी सरकार का विकास अजेंडा

रायपुर। 'छत्तीसगढ़ की भाजपा सरकार विकास के नाम पर आदिवासियों को उनकी संस्कृति से दूर करना चाह रही है। जंगल और खनिज से लगाव रखने वाले जो आदिवासी संस्कृति को छोड़ना नहीं चाह रहे हैं, उन्हें गोलियों से मारा जा रहा है। सरकार गरीबों और आदिवासियों का हित चाहती है तो केवल संविधान को लागू कर दे।

सरकार ने एक गरीब परिवार के हाथ में बंदूक थमा दी है तो दूसरे को गोली खाने के लिए खड़ा कर दिया है। एक घर चलाने के लिए गोली चलाता है तो दूसरा घर बचाने के लिए। सरकार की ऐसी पॉलिसी से गरीब परिवार एक-दूसरे के दुश्मन हो गए हैं। संविधान से बाहर जाकर काम न करे। अपने आप गरीबों और आदिवासियों का उत्थान हो जाएगा।' 

यह बात कही है पीपुल यूनियन फॉर सिविल लिबर्टिज के 14वें राष्ट्रीय अधिवेशन में आए राजस्थान के भंवर मेघवंशी और कैलाश मीणा ने। नई दुनिया से बातचीत में उन्होंने गरीबों, दलितों और आदिवासियों की समस्याओं और सरकार की पॉलिसी पर चर्चा की।


आपको बता दें कि मेघवंशी 15 साल से दलित, आदिवासी और घुमंतू परिवारों के मानवाधिकार की लड़ाई लड़ रहे हैं, जबकि मीणा विकास के नाम पर गरीबों का शोषण के खिलाफ 20 साल से आवाज उठाते रहे हैं। मीणा का कहना है कि सरकार ने गरीब युवाओं को रोजगार देने के लिए सबसे ज्यादा पैरामिलिट्री फोर्स में भर्ती की। इसके पीछे सरकार की सोची-समझी साजिश है। उसने जंगलों में रहने वाले आदिवासी गरीब परिवारों को खत्म करने के लिए ही फोर्स में भर्ती गरीब युवाओं को ही हथियार बनाया है। 

मीणा ने कहा कि सरकार कहती है कि जंगल में रहने वाले आदिवासियों को मुख्यधारा से जोड़ने के लिए विकास किया जा रहा है। जबकि विकास के नाम पर आदिवासियों का विनाश किया जा रहा है। आदिवासी तो अपनी संस्कृति और वनसंपदा से ही खुश हैं। जंगल को खत्म करके उद्योग या माइंस लगाना, वनसंपदा के साथ आदिवासियों को खत्म करना है।

मीणा ने आगे कहा कि विकास के लिए सरकार ऐसा प्लान तो बनाए, जिससे हर वर्ग और समुदाय के लोगों का फायदा हो। अभी तो 'अंधाधुंध" विकास हो रहा है। शहरों में देख लें, अंधाधुंध विकास के कारण ही भूमिगत जल खत्म हो रहा है। प्रदूषण भयावह होता जा रहा है। ऐसे विकास के बाद इंसान कैसे बचेगा, यह सरकार को सोचना चाहिए। 


वहीं मेघवंशी का कहना है कि समाज के हर वर्ग की सुरक्षा और उत्थान के लिए देश में संविधान बना हुआ है। सरकार केवल उसे लागू कर दे तो हर वर्ग का विकास हो जाएगा। मेघवंशी ने कहा कि सरकार का दावा गलत है कि संविधान के अनुसार देश चल रहा। अगर ऐसा होता तो इंसान ही इंसान का मल नहीं उठाता। देश में 666 घुमंतू जातियों के 20-25 करोड़ लोग नहीं होते।

मेघवंशी ने सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार किसे विकास कह रही है? मल उठाने के लिए मशीन का उपयोग हो। घुमंतू परिवारों को मकान, आधार कार्ड मिले। नक्सलवाद सरकार की गंदी राजनीति का हिस्सा है। इसे शासन-प्रशासन ने कारोबार बना लिया है। 


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