जब जुल्म की खबर पढ़ते है तो एक बेवकूफ लिखता है
"अल्लाह इनकी मदत करे" या फिर "अल्लाह इनपर
अजाब धाये" और दुसरा बेवकूफ लिखता है आमीन. यह
जानते हुए भी की अल्लाह इनके बाप का नौकर नहीं
है.
-लकद काना लकुम फी रासुलुल्लाही उस्वत-उल-
हसना- (अल कुरआन)
ऐ लोगो मैंने तुम्हारे लिए मुहम्मद (स.) की जिंदगी को
आइडियल और मॉडल बनाया है. (अब तुम्हे वही करना
है जो नबी (स.) ने किया/बताया है.)
मुहम्मद (स.) तो जुल्म के खिलाफ आवाज उठाते थे
फिर अल्लाह उनकी मदत करता था.
और हमारे बेवकूफ, महा-बेवकूफ अमिन कहकर ही काम
चला लेते है यह जानते हुए भी की नेशनल और इंटरनेशनल
मीडिया हमारा नहीं है.
सोशल मीडिया मिला है तो उसका इस्तेमाल अमिन
कहने के लिए करते है. इनके लिए बेवकूफ लब्ज भी बहुत
छोटा है.....