यहूदियों ने एक चाल चली की, किस तरह मुसलमानों को लड़ाया जाए. इनमे किस तरह से फूट डाली जाए क्यूंकि यहूदियों को पता था मुसलमानों का
अल्लाह एक
पैगम्बर एक
कुरआन एक
कलमा एक
किबला एक
काबा एक
मजहब एक
खुतबा एक
ईमान एक
आखिरत एक
फिर यह अलग कैसे होंगे ?
फिर इन्होने एक साजिश रची जो यहूदियों के खून में ही है. साजिश रचकर इस्लाम में दाखिल हुए और कुछ नियम बनाए लेकिन मुख्य नियम को वह बाका भी ना कर सके. लेकिन कुछ छोटी छोटी बातो में इख्तेलाफ पैदा किया लेकिन 1441 साल हो चुके उपरोक्त मुख्य नियमो को बका भी ना कर सके. लेकिन इख्तेलाफ पैदा करने में कामियाब रहे. बस मुसलमानों को बाँटा हुआ कहते रहो और उनको कमजोर करते रहो यही निति है.
एक उदाहरण देना चाहूँगा.
मान लो अगर एक घर में चार भाई है और उनमे से एक शराबी के साथ रहकर शराबी बन जाता है तो उन चारो का खून जुदा नहीं हो जाता एक बात तो उन दोनों में पक्की होती है की वह एक बाप की औलाद है. वैसे ही मुसलमानों का भी बाप एक ही है. कुछ लोग गलतिया करते है इसका मतलब यह नहीं के उनके खून में खराबी है. शराबी हो या सही रास्ते पर चलने वाला अपने बाप को ही बाप कहता है वैसेही मुसलमान उपरोक्त दिए गए मुख्य नियमो को मानता है. इसका मतलब यह नहीं की मुसलमान बंट चुका. यह तो उनकी साजिश है और साजिशे ज्यादा दिनों तक नहीं चल सकती. और जहां भी कुछ अच्छाई हो वहीँ साजिश करने की कोशिस की जाती है यह दुनिया का दस्तूर है. और यह जो इख्तेलाफ है यह भाई भाई का घरेलु झगडा ना की प्रोपर्टी का है और यह झगडा ज्यादा देर तक नहीं चलेगा. भाई भाई एक दुसरे को भला बुरा कहने में भी देर नहीं लगाते और गले मिलने में भी देर नहीं लगाते क्यूंकि उनका बाप एक होता है......! तुम साजिशे करते रहो और हम भाई भाई उसपर पानी फेरते रहेंगे.... जैसे तुर्की में परसों ही सब भाई इकट्ठे हुए...! और रही बात भारत की, भारत में तो और एक बात अच्छी है भारत के मुसलमानों के साथ उनके गैरमुस्लिम बहुजन भाई भी है जिनपर हमें गर्व है......!
तो ई दुश्मनाने इस्लाम यह मत कहो की मुसलमान कई फिरको में बांटा गया है. एक अल्लाह और एक पैगम्बर "मुहम्मद मुस्तफा सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम" के नाम पर एक होने में एक पल भी नहीं लगेगा. आजमाईश कड़ी है, इम्तेहान मुस्किल है लेकिन इस्लाम बुलंद है.
-अहेमद कुरेशी