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स्वर्ग से कश्मीर को नरक बनाया सरकार ने

जम्मू एंड कश्मीर में भाजपा और पीडीपी सरकार ने बुरहान वाणी के सशस्त्र बालों द्वारा मारे जाने के बाद स्तिथ को नियंत्रण में लाने के लिए बल प्रयोग किया जा रहा है. जिसमें अब तक 23 लोग मारे जा चुके हैं. 400 से ज्यादा लोग घायल हैं. दस जिलों में कर्फ्यू लगा हुआ है. पूरे राज्य में इन्टरनेट मोबाइल सेवाएं बंद कर दी गयी हैं. केंद्र सरकार ने शांति कायम करने के लिए सीआरपीऍफ़ की 20 कम्पनियाँ और भेजी हैं. दक्षिण कश्मीर के त्राल शहर में शनिवार को वानी की अंत्येष्टि में 20,000 से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया.
सरकार ने वादा किया कि सुरक्षा बलों की ओर से अनुचित ढंग से बल प्रयोग किया गया है तो उसकी जांच होगी। सरकार ने वादा किया कि सुरक्षा बलों की ओर से अनुचित ढंग से बल प्रयोग किया गया है तो उसकी जांच होगी।


बुरहान वानी के एनकाउंटर के सम्बन्ध में सामाजिक कार्यकर्ता कविता कृष्णन ने कहा कि कथित एनकाउंटर पर शर्म आनी चाहिए। कविता ने कहा कि मैं कह रहूी हूं कि जो मरा है उस पर बाद में चर्चा होगी लेकिन कोई मरे उस पर जांच जरूर होनी चाहिए। उन्होंने कहा बाबा साहेब ने कहा था कि अगर सशस्त्र बल का प्रयोग किसी की हत्या के लिए किया जाए उस पर FIR दर्ज होनी चाहिए और जांच होना चाहिए। ताकि यह पता चलाया जा सके कि बाकई इस तरह का एनकाउंटर आत्मरक्षा के लिए उठाया गया कदम था।
अगर फिरदौस बर्रूए-जमीनस्तो, हमीनस्त, हमीनस्त, हमीनस्तो। अगर पृथ्वी पर कहीं स्वर्ग है तो यहीं है, यहीं है, यहीं है। फिरदौसी के इस कथन के अनुसार यूँ तो कश्मीर से लेकर कन्याकुमारी और लाल किले तक को यह उपमा दी गई है.  


लेकिन वस्तुस्तिथि यह है कि उस जमीन को अब स्वर्ग से नरक में तब्दील कर दिया गया है और सरकार चाहे जो तर्क दे या पकिस्तान विवाद की बात करे. पकिस्तान से मिलने वाली सीमाओं पर हमेशा शांति बनी रहती है सिर्फ जम्मू एंड कश्मीर की सीमा पर हमेशा अशांति का महाल बना रहता है. मकबूल बट की फांसी के बाद से हमेशा नए-नए आइकॉन पैदा होते हैं बुरहान वानी 15 साल की उम्र से हिंसा के रास्ते पर चल निकला और हम घाटी में अर्ध सैनिक बल को बढाते चले जा रहे हैं राजनीतिक समाधान का प्रयास नहीं किया जा रहा है. जब प्रदेश में भाजपा और पीडीपी की निर्वाचित सरकार है. उसके जनप्रतिनिधि जनता को समझाने में सफल क्यों नहीं हो रहे हैं. वहीँ, मुख्य सवाल यह भी है कि अर्ध सैनिक बलों का काम सीमा पर है व नागरिक क्षेत्रों में सिविल पुलिस का काम क्यों कर रही है. हिंसा पर चल रहे नौजवान को आप बल से ही रास्ते पर नहीं ला सकते हैं. नौजवानों को नयी जिंदगी देने की दिशा में कोई बात सरकारी स्तर पर नहीं हो पा रही है. जनता और सरकार के बीच संवादहीनता की स्तिथि है. ताकत से जनता को नहीं जीता जा सकता है और सत्तारूढ़ भाजपाई कश्मीरियों से मोहब्बत ही नहीं कर सकते हैं. यह उनके वैचारिक चिंतन का दुष्परिणाम है. सरकार को चाहिए की बलों की ज्यादतियों की जांच कराकर दण्डित करें तथा नौजवानों को प्यार से उनके समस्याओं का समाधान ढूँढें. बल प्रयोग से स्तिथि बिगडती जाएगी. दोनों तरफ की हिंसा में स्वर्ग को नरक बना दिया है.

रणधीरसिंह सुमन 
लेखक लोकसंघर्ष के सम्पादक एवं सामाजिक कार्यकर्ता है.
बारांबाकी, यूपी
(लेखक के निजी विचार है)

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