वह कॉल है सच्चे जो सुनाये है नबी (स.) ने
आसारे कयामत ये बताए है नबी ने.
हर सिम्त होगा दौर शराब-ओ-शबाब का
होगा ना कुछ ख़याल अजाब—सवाब का.
होगी जियादा औरते और मर्द होंगे कम.
होगा किसी के दिल में ना इंसानियत का गम
ऐसा लिबास होगा बदन आयेगा नजर.
मर्दों को शर्म आएगी औरत को देखकर
बे हयाई बनाव सिंगार से मिट जायेगी शराफते फैशन की मार से.
घर-घर में नाच गानों का होगा रिवाज आम.
छोटे बड़े पसंद करेंगे बुरे कलाम.
अपने बड़ो की कुछ भी ना इज्जत करेंगे लोग.
बीवी से प्यार माँ से नफरत करेंगे लोग.
औरत की तरह मर्द भी रक्खा करेंगे बाल.
ये चौदहवी सदी में मिलेंगी नई मिसाल.
भूलेंगे लोग हुक्म रसूल-ए-अनाम का
होगा ना इम्तेयाज हलाल-ओ-हराम का.
आंसू गम-ए-जहां में बहाए है नबी (स) ने........
जज्बा ना होगा दिलो में किसी अहेतराम का.
हुक्म-ए-रसूल का ना खुदा के कलाम का.
बन जाएगा जमाने में एक खेल में क़त्ल-ए-आम.
मिट जाएगा जहां से खुलूस-ओ-वफ़ा का नाम.
दुनिया की बाते होगी मसाजिद में बैठकर.
खाली नमाजियों से रहेगा खुदा का घर.
अहले वफ़ा पे लोग बहुत जुल्म ढायेंगे.
अहेबाब दुश्मनों की तरह पेश आयेंगे.
मगरिब से होगा जब के जहूर आफताब का.
साया गुनाहगारो पे होगा आजाब का.
इस वक्त हो सकेगी ना कोई दुआ कुबूल.
गुजरेगी इम्तेहान से ये उम्मते रसूल.
उड़ जायेंगे हुरूफ़ भी कुरआन-ए-पाक से.
बुझ जायेंगे चराग सभी इल्म-ओ-दीन के.
कुछ फूल इशारों से खिलाये है नबी (स) ने......
फिर हजरते मसीह भी तशरीफ़ लायेंगे.
दज्जाल का वजूद फिर यहाँ से मिटायेंगे.
कुछ दिन को अम्न-ए-दौर आयेगा दोस्तो
ये दिन अपनी शान बढ़ाएगा दोस्तों
फिर सूर और हश्र के आयेंगे मरहले.
तूफ़ान उठेंगे हर तरफ आयेंगे जलजले.
और ये पहाड़ रुई के दानो के तौर पर.
सारी फिजा में उड़ते फिरेंगे इधर उधर.
बेटे को माँ का होश ना भाई ना भाई का.
होगा अजीब हाल खुदा की खुदाई का.
कुछ आयेगा वहां ना सर-ओ-माल काम मे
आयेगे सिर्फ अपने ही आमाल काम में.
आँखों से सभी परदे हटाये है नबी (स) ने.....