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अंधेरे दौर में भी हमें इंसानियत सिखा गया फराज

फराज और तारिशी की एक यादगार तस्वीर
ढाका में तारिशी जैन के साथ उसका दोस्त फराज शहीद हुआ, जबकि वह चाहता तो आज जिंदा होता और चैनलों को इंटरव्यू दे रहा होता. और चौबीसों घंटे सुर्खियों में होता. 16 दिसंबर, 2012 की सर्द रात को दिल्ली में जो बीता उसके बाद निर्भया की मौत हो गई. वह अकेली मरी.

मैं निर्भया के 'दोस्त' अवनींद्र पांडेय की लंबी उम्र की कामना करता हूं.





धर्म,  जाति,  भाषा,  रूप,  रंग की बात छोड़िए. मुझे लगता है कि कोई भी लड़की अपने जीवन में फराज हुसैन जैसा दोस्त चाहेगी. फराज किसी भी धर्म का हो सकता है. या नास्तिक भी. होने को वह रमेश या जॉन भी हो सकता था. वह इस्लाम का पाबंद भी हो सकता था. वह कुछ भी हो सकता था.
कुल मिलाकर, फराज अंधेरे दौर में भी हमें इंसानियत सिखा गया.
खुदा हाफिज फराज.

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